बीवी और शौहर के हक़ | Biwi aur Shauhar ke Haq in Islam

shauhar aur bibi ke haq in islam mein

इस्लाम में पति और पत्नी के अधिकार और कर्तव्य | Quran aur Hadith ke Hawale se

बीवी के हक़ (Patni ke Huqooq)

  • नफ़का (भरण-पोषण): कुरआन कहता है: "मर्द औरतों पर क़व्वाम (जिम्मेदार) हैं, क्योंकि अल्लाह ने एक को दूसरे पर फ़ज़ीलत दी है और उन्होंने अपने माल से खर्च किया।" — (सूरह अन-निसा 4:34)
  • मकान: बीवी को रहने के लिए एक सुरक्षित और उचित निवास प्रदान करना।
  • कपड़े और गहने: उसकी जरूरत के मुताबिक कपड़े और आवश्यक सामग्री देना।
  • स्वास्थ्य और चिकित्सा: इलाज और देखभाल की जिम्मेदारी भी पति की है।
  • प्यार और सम्मान: हदीस में है: "तुममें सबसे अच्छा वह है जो अपनी पत्नी के साथ अच्छा व्यवहार करता है।" — (तिर्मिज़ी)
  • धार्मिक मार्गदर्शन: कुरआन कहता है: "अपने आप को और अपने घरवालों को जहन्नम की आग से बचाओ।" — (सूरह अत्तहरीम 66:6)

पति की ज़िम्मेदारियाँ

  • बीवी की शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक ज़रूरतों को पूरा करना।
  • बीवी की सलाह को महत्व देना और उस पर ध्यान देना।
  • उसकी इज़्ज़त और प्रतिष्ठा की हिफ़ाज़त करना।
  • बीवी के साथ दया और प्रेम से पेश आना। हदीस: "मोमिन मर्द अपनी बीवी से नफरत न करे, अगर एक आदत नापसंद हो तो कोई और पसंदीदा हो सकती है।" — (सही मुस्लिम)
  • बीवी की इस्लामी शिक्षा और मार्गदर्शन की जिम्मेदारी लेना।

पत्नी के कर्तव्य

  • पति की आज्ञाकारिता: हदीस: "अगर औरत अपनी पाँचों नमाज़ें पढ़े, रोज़ा रखे, इज़्ज़त की हिफाज़त करे और अपने शौहर की फरमाबरदारी करे, तो वह जन्नत के किसी भी दरवाज़े से दाख़िल हो सकती है।" — (मुस्नद अहमद)
  • घर की देखभाल: पत्नी का फर्ज़ है कि वह घर की व्यवस्था को सलीके से संभाले।
  • पति का सम्मान: पत्नी को अपने पति की इज़्ज़त करनी चाहिए और सार्वजनिक रूप से भी उसका सम्मान बनाए रखना चाहिए।
  • वफादारी: पति की गैरमौजूदगी में उसकी इज़्ज़त और संपत्ति की हिफ़ाज़त करना।

अहद और मिसाले (Quran aur Hadees se)

हदीस: "दुनिया एक सामान है और सबसे बेहतरीन सामान नेक बीवी है।" — (सही मुस्लिम)

कुरआन: "और उनके साथ भलाई से रहो।" — (सूरह अन-निसा 4:19)

हदीस: "सबसे मुकम्मल ईमान वाला वह है जिसका अख़लाक़ अच्छा हो और जो अपनी बीवी से सबसे अच्छा बर्ताव करे।" — (तिर्मिज़ी)

पति-पत्नी का परस्पर व्यवहार

  • दोनों को एक-दूसरे का सम्मान और सलाह लेनी चाहिए।
  • झगड़ों में संयम और शांति अपनानी चाहिए।
  • नबी ﷺ का जीवन आदर्श है – उन्होंने कभी अपनी बीवियों पर हाथ नहीं उठाया।
  • आपसी समझ और संवाद से रिश्ते को मज़बूत करें।

कुरआन और हदीस की रौशनी में बीवी द्वारा पति को गाली देना या मारना

  • 1. पति की इज्जत करना बीवी पर फ़र्ज़ है: कुरान कहता है:
    "अौर उनके (बीवियों) के लिए वैसा ही व्यवहार है जैसा उनके (मर्दों) का उनके लिए है, भलाई के साथ।"
    (सूरह अल-बक़रा 2:228)
    इस आयत में अल्लाह तआला ने दोनों को एक-दूसरे के साथ अच्छा सुलूक करने का हुक्म दिया है।
  • 2. गाली देना एक बड़ा गुनाह है: हदीस: "मुसलमान को गाली देना फिस्क (गुनाह) है, और उससे लड़ना कुफ्र है।"
    (सहीह बुखारी: 48)
    अगर बीवी अपने पति को गाली देती है, तो वह एक बहुत बड़े गुनाह की मुर्तकिब बनती है।
  • 3. पति को तकलीफ़ देना नापसंद है: हदीस: "कोई औरत अगर अपने शौहर को तकलीफ़ देती है, तो वह हूरें जो जन्नत में उसकी बीवियाँ होंगी, कहती हैं: 'अल्लाह तुझ पर ग़ज़ब नाज़िल करे, वह तेरा मेहमान है, थोड़ी देर के लिए तेरे पास है, और तू उसे सताती है?'"
    (इब्न माजा: 1857)
    यह हदीस उस बीवी के लिए चेतावनी है जो अपने शौहर को तकलीफ़ देती है।
  • 4. बीवी पर शौहर की इताअत (आज्ञा पालन) वाजिब है: हदीस: "अगर मैं किसी को सज्दा करने का हुक्म देता, तो औरत को हुक्म देता कि वह अपने शौहर को सज्दा करे।"
    (तिर्मिज़ी: 1159)
    इसका मतलब है कि पति का दर्जा बीवी पर बहुत ऊँचा है, और उसका आदर करना अनिवार्य है।

इस्लाम में नसीहत और हल

बीवी को चाहिए कि वह सब्र, हुस्न-ए-अख़लाक और इज्ज़त के साथ अपने पति से पेश आए।

अगर नाराज़गी हो, तो तहज़ीब से बात करें, मारपीट या गाली से नहीं।

यदि झगड़ा बढ़ जाए तो शुराह (सलाहकारों) की मदद से हल करें, जैसा कि कुरआन में सूरह अन-निसा (4:35) में ज़िक्र है।

निष्कर्ष

इस्लाम एक संतुलित और न्यायप्रिय समाज की स्थापना पर बल देता है, जहां पति और पत्नी दोनों को एक-दूसरे के अधिकार और कर्तव्यों को पूरा करने की ज़िम्मेदारी है। कुरआन और हदीस के अनुसार अगर दोनों अपनी-अपनी ज़िम्मेदारियाँ निभाएं तो एक सुखी, शांतिपूर्ण और बरकत वाला जीवन मुमकिन है।

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