आसमानी फरिश्तों के नाम | Four Angels in Islam in Hindi

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आसमानी फरिश्तों के नाम | Asmaani Farishto ke Naam

फरिश्ते (Angels in Islam) इस्लाम में ईमान के 6 अरकान (Pillars of Faith) में से एक अहम हिस्सा हैं। Farishte अल्लाह की बनाई नूरानी मखलूक (light beings) हैं, जो सिर्फ Allah ke hukum पर काम करते हैं।

Farishte ki Takhleeq (Creation of Angels)

कुरान और हदीस में आता है कि फरिश्तों को नूर (light) से पैदा किया गया है। ये न तो खाते हैं, न पीते हैं, न थकते हैं और न ही सोते हैं।

Farishte ki Khaasiyat (Special Qualities of Angels)

  • Gunahon se Paak: फरिश्ते गुनाह नहीं करते।
  • Amanatdaar: ये अल्लाह का हर हुक्म पूरा करते हैं।
  • Har jagah mojood: फरिश्ते इंसानों के आस-पास हर वक्त मौजूद रहते हैं।
  • Insano ki Hifazat: Guardian angels इंसानों की रक्षा और निगरानी करते हैं।

Four Angels in Islam | इस्लाम के चार बड़े फरिश्ते

  1. जिब्रील (Jibreel / Gabriel): अल्लाह के संदेशवाहक, जिन्होंने नबियों को वही पहुंचाई।
  2. मीकाईल (Mikaeel / Michael): बारिश, हवा और रिज़्क (provisions) की जिम्मेदारी।
  3. इज्राईल (Izraeel / Azrael): मौत का फरिश्ता, जो इंसानों की रूह निकालता है।
  4. हाफिज़ा (Hafizah / Kiraman Katibeen): इंसानों के अच्छे और बुरे काम लिखने वाले।

Baaki Mashhoor Farishte | अन्य प्रसिद्ध फरिश्तों के नाम

  • इस्राफील (Israfil): कयामत के दिन सूर फूंकने वाले।
  • मुनकर और नक़ीर (Munkar & Nakir): कब्र में सवाल पूछने वाले फरिश्ते।
  • रिदवान (Ridwan): जन्नत (Paradise) के दरबान।
  • मालिक (Malik): जहन्नुम (Hell) के रखवाले।

Farishton ka Kaam | Duties of Angels in Islam

Farishton ki duty इंसान की ज़िंदगी और आख़िरत से जुड़ी होती है:

  • Message deliver karna: Allah ke paigham ko anbiyan tak pohchana।
  • Hifazat karna: हर इंसान पर निगरानी रखना और उनकी रक्षा करना।
  • Rozi aur barish: Mikaeel रोज़ी और बारिश का इंतज़ाम करते हैं।
  • Maut: Izraeel मौत के वक़्त रूह निकालते हैं।
  • Karma likhna: Kiraman Katibeen हर छोटे-बड़े अमल को लिखते हैं।
  • Qayamat ke din: Israfil सूर फूंकेंगे और सारी दुनिया का अंत होगा।

Islamic Belief about Angels | इस्लाम में फरिश्तों पर ईमान

फरिश्तों पर ईमान रखना हर मुसलमान के लिए फर्ज़ (obligatory) है। ये ईमान के छह अरकान में से दूसरा है। बिना फरिश्तों पर ईमान लाए किसी का ईमान मुकम्मल नहीं होता।

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