हज़रत उस्मान गनी (رضي الله عنه) का जीवन | Hazrat Usman Ghani Biography in Hindi
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हजरत उस्मान गनी (رضي الله عنه) इस्लाम के तीसरे खलीफा और पैगंबर मुहम्मद (صلى الله عليه وسلم) के एक प्रमुख साथी थे। उनका जन्म 579 ईस्वी में मक्का में हुआ था।
उनके पिता का नाम अफ्फान और माता का नाम अरवा था। उनकी पत्नी रुकैय्या थीं, जो पैगंबर मुहम्मद (صلى الله عليه وسلم) की बेटी थीं।
उस्मान गनी ने इस्लाम के आरंभिक काल में इसे स्वीकार किया और नबी ﷺ के करीबी साथी बन गए।
हज़रत उमर फारूक (رضي الله عنه) की मृत्यु के बाद उन्हें तीसरा खलीफा नियुक्त किया गया।
656 ईस्वी में मदीना में एक विद्रोह के दौरान उनकी शहादत हुई।
उनकी विरासत आज भी इस्लामी इतिहास का एक उज्ज्वल अध्याय है।
कुरआन की सेवा: हज़रत उस्मान (RA) ने कुरआन को एक Mushaf में संग्रहित करवाया और उसकी नकलें बनवाकर इस्लामी दुनिया में वितरित कीं। यह इस्लाम के इतिहास का सबसे बड़ा योगदान माना जाता है।
हदीस: नबी ﷺ ने फ़रमाया:
"हर नबी का एक साथी होता है और मेरा साथी उस्मान है।" — (तIRMIZI)
"उस्मान से फरिश्ते भी हया करते हैं।" — (सही मुस्लिम)
यह हदीसें उस्मान गनी की विनम्रता, चरित्र और धार्मिक महत्व को दर्शाती हैं।
सहाबा में स्थान: अशरह मुबश्शरा (जिन्हें जन्नत की बशारत दी गई) में उनका नाम शामिल है।