Roza Maqrooh Hone Ki Wajah | रोजा मकरूह होने की वजह

roza makrooh hone ki wajah hindi mein

रोजा मकरूह होने की वजह Roza Makrooh Hone Ki Wajah roza makrooh kaise hota hai roza makrooh ka matlab roza makrooh meaning in hindi| Roza Makrooh Meaning

इस्लाम धर्म में रोजा को बहुत ही अहमियत दी जाती है क्योंकि रमजान रोजा रखने से बहुत से फायदे के साथ साथ दुनिया और आखिरत में भी मिलेगा बहुत से लोग जब रोजा रखते है तो कुछ काम ऐसे करते देते है जिनसे रोजा मकरूह हो जाता है जिनसे रोजा को बचाना चाहिए आइये जाने रोजा के मकरूह होने की वजह और कैसे होता है

    रोजे के मकरूहात (अनुचित कार्य) वे कार्य हैं जो रोजे के दौरान करने से बचना चाहिए। यहाँ कुछ मकरूहात हैं:

    •  झूठ बोलना: रोजे के दौरान झूठ बोलना मकरूह है, क्योंकि यह अल्लाह के रसूल (स.) की सुन्नत के खिलाफ है।
    •  गाली-गलौज करना: रोजे के दौरान गाली-गलौज करना मकरूह है, क्योंकि यह अल्लाह के रसूल (स.) की सुन्नत के मिला है।
    •  बुरे विचार करना: रोजे के दौरान बुरे विचार करना मकरूह है, क्योंकि यह अल्लाह के रसूल (स.) की सुन्नत के खिलाफ है।
    • बुरे काम करना: रोजे के दौरान बुरे काम करना मकरूह है, क्योंकि यह अल्लाह के रसूल (स.) की सुन्नत के खिलाफ है।
    • रोजे के दौरान सोना: रोजे के दौरान सोना मकरूह है, क्योंकि यह अल्लाह के रसूल (स.) की सुन्नत के खिलाफ  है।
    • रोजे के दौरान गुस्सा करना: रोजे के दौरान गुस्सा करना मकरूह है, क्योंकि यह अल्लाह के रसूल (स.) की सुन्नत के खिलाफ है 
    • रोजे के दौरान बुरे शब्द कहना: रोजे के दौरान बुरे शब्द कहना मकरूह है, क्योंकि यह अल्लाह के रसूल (स.) की सुन्नत के खिलाफ है
    • रोजे के दौरान दूसरों को परेशान करना: रोजे के दौरान दूसरों को परेशान करना मकरूह है, क्योंकि यह अल्लाह के रसूल (स.) की सुन्नत के खिलाफ है।

    इन मकरूहात से बचने से रोजे की बरकत बढ़ जाती है और अल्लाह की रजा हासिल होती है 

    गाली गलौज देना किसी पर चिल्लाना किसी की चुगली करना या किसी को सताना किसी को मारना पीटना इस्लाम में तो यह सब चीज है वैसे ही हराम है मगर रोजे की हालत में रमजान के अंदर अगर यह सब चीज करता है तो इन सब चीजों के करने से रोजा मकरू हो जाएगा

    इन मकरूहात से बचने से रोजे की बरकत बढ़ जाती है और अल्लाह की रजा हासिल होती है  

    • अगर कोई इस्लामी बहन का शौहर बहुत जालिम है खाने में कमी निकालता है खाना पकाते वक्त अगर वह बहन रोजे की हालत में है तो वह खाने को जरा सा चेक सकती है सिर्फ ज़बान के ऊपर रखकर चेक कर सकती है बस उसे अपने हलक के नीचे नहीं उतारता है इस तरह के करने से उस बहन का रोजा मकरू नहीं होगा 
    •  अगर किसी का बच्चा मुलायम दार चीज को खाता है तो उस मुलायम दार चीज को हमारी बहन कैसे खिलाएंगे जबकि रोजे की हालत में है कोई चीज भी ना मिले उसे नरम करने की तो इस सूरत में हमारी बहन चबाकर अपने बेटे को या अपने औलाद को खिला सकती है इससे रोज मकरू नहीं होगा 
    •  हम आपको बता दें की शरीयत में हर वह चीज माफ है जो इंसान को बेबस और लाचार कर दे कितना खूबसूरत है हमारा मजाक कितना प्यारा है हमारा इस्लाम की हर चीज की रियायत और छूट मिली हुई है


    मकरूह का अर्थ | Makrooh Meaning

    Makrooh Meaning in Hindi: ऐसा कार्य जिसे रमजान के महीने में, खासतौर पर रोजे के दौरान करने से मना किया गया हो, या ऐसा काम जिससे रोजा टूटने की आशंका हो, उसे "मकरूह" कहा जाता है। इस्लाम धर्म में "मकरूह" का अर्थ ऐसा भोजन या कार्य होता है, जो अनुचित तो हो, लेकिन पूरी तरह हराम न हो।


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