Shabe Qadr Ki Fazilat | 27th Shab-e-Qadr Meaning (Hindi & Urdu)

 क़द्र की फ़ज़ीलत

Shabe Qadr Ki Fazilat | शबे कदर की फजीलत

Shabe Qadr (शबे कदर) इस्लाम की सबसे मुबारक रातों में से एक है। इसे Laylatul Qadr भी कहा जाता है। इसका अर्थ है – "कदर की रात" या "मूल्यवान रात"
यह रात रमजान के आखिरी अशरे (last 10 days of Ramadan) में आती है और विशेषकर 27th Shab e Qadr को सबसे ज्यादा अहम माना जाता है।

Shabe Qadr Meaning in Islam

Shab e Qadr का मतलब है Night of Decree यानी वह रात जिसमें कुरान की पहली आयतें नाज़िल की गईं। कुरान की सूरह अल-क़द्र (Surah Al-Qadr) में अल्लाह तआला ने फरमाया:

"हमने कुरआन को शबे क़द्र में नाज़िल किया। और तुम क्या जानो कि शबे क़द्र क्या है? शबे क़द्र हजार महीनों से बेहतर है।"
(Quran, Surah Al-Qadr 97:1-3)

27th Shab e Qadr Ki Fazilat

  • कुरान का पहला वह़ी: इसी रात कुरान की पहली आयतें नाज़िल हुईं।
  • हजार महीनों से बेहतर: Surah Qadr के मुताबिक Shabe Qadr की इबादत 1000 months (83 years) से बेहतर है।
  • हदीस शरीफ: रसूलुल्लाह ﷺ ने फरमाया – "जो ईमान और सवाब की उम्मीद के साथ शबे क़द्र की रात इबादत करेगा, उसके पिछले गुनाह माफ कर दिए जाएंगे।"
    (Sahih Bukhari & Muslim)
  • तौबा और मग़फिरत: इस रात अल्लाह रहमत के दरवाज़े खोल देता है।
  • दुआ कबूल होने की रात: इस रात की दुआ जरूर कबूल होती है।

Shab e Qadr Mein Kya Karna Chahiye?

  1. कुरान की तिलावत: कुरान पढ़ना और समझना।
  2. दुआ और इस्तिग़फार: गुनाहों की माफी मांगना।
  3. नमाज़-ए-शबे क़द्र: Nafl Namaz पढ़ना।
  4. सदका और ज़कात: गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करना।
  5. तहज्जुद और इबादत: रात भर जागकर अल्लाह का जिक्र करना।

हज़रत आयशा (रज़ि.) ने पूछा: या रसूलुल्लाह ﷺ अगर मुझे शबे क़द्र मिल जाए तो मैं क्या दुआ करूं? आपने फरमाया: "पढ़ो – अल्लाहुम्मा इन्नका अफ़ुव्वुन तुहिब्बुल-अफ़्व फअफ़ु अन्नी।" (ऐ अल्लाह, तू माफ करने वाला है, माफी को पसंद करता है, मुझे भी माफ कर दे)।
(Tirmidhi)

Shab e Qadr Mein Kya Nahi Karna Chahiye?

  • गुनाह और बुरे काम से बचें।
  • झूठ और धोखा न दें।
  • फिजूल बातों में वक्त बर्बाद न करें।
  • अल्लाह की नाफरमानी से बचें।

Shab e Qadr in Urdu (شب قدر)

شب قدر رمضان کے آخری عشرے میں آتی ہے اور قرآن میں اس کو "خیر من الف شہر" کہا گیا ہے، یعنی یہ رات ہزار مہینوں سے بہتر ہے۔ مسلمان اس رات کو دعا، توبہ اور قرآن کی تلاوت میں گزارتے ہیں۔

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