उमराह अदा करने का सुन्नत तरीका | Umrah Ada Karne Ka Sunnat Tarika

umraah karne ka sunnat tarika hindi mein


मजहबी इस्लाम में उमरह का माना (उसकी उम्र होती है) जिनकी हैसियत होती है उमरह के लिए अपने घर से निकलता है अल्लाह के घर की तरफ जाकर वह अपने उम्र की दुआ करता है और अल्लाह के उसे पर घर को देखकर अपने आंखों को ठंडक पहुंचाता है

उमरह क्या है :-

हज ही तरह उमराह भी इस्लाम के मानने वाले लोग करते है उमराह और हज में उमरह में काफी फर्क होता है है हज के लिए एक खांस महिना मुक़र्रर होता है जबकि उमराह साल में कभी भी किया जा सकता है उमराह को जियारत और हज-असगर के नाम से भी जाना जाता है अहराम बाँध कर काबे का तवाफ करना उमरह कहते हैं

कुरआन का फरमान :

ولله على الناس حج البيت من استطاع اليه سبيلا ومن كفر فان الله غني عن العالمين

अल्लाह तआला ने उन लोगों पर जो उस तक पहुँचने का ताकत रखते हैं इस घर का हज्ज करना फर्ज कर दिया है, और जो कोई इनकार करे (न माने) तो अल्लाह तआला (उनका शुमार काफिरों में कर देता है)


उमरह करने का तरीका 

(१) पहले नियत करें उमरह की 

(२) फिर अहराम बांधे

(३) फिर खाने काबा की तरफ रवाना हो जाए 

(४) फिर हजरे अस्वद की दाई जानिब से शुरू करें बाई जानिब पर खत्म करें

(५) इस तरह से आपका पहला चक्कर पूरा होगा इसी तरह से आपको सात चक्कर लगाने हैं 

(६) चक्कर के दौरान आपको एक खास दुआ पढ़नी है 

(७) हर चक्कर पूरा होने के बाद हजरे अस्वद का बोसा देना है

दुआ क्या है उमरह की 

  • दुआ:  – लब्बैका अल्लाहुम्मा लब्बैक, लब्बैका ला शरीका लका लब्बैक, ईन्नल-हम्दा वन्नि’ मता लका वल-मुल्क, ला शरीका लक।

لبيك اللهم لبيك لبيك لا شريك لك لبيك ان الحمد والنعمه لك والملك لا شريك لك

तर्जुमा: हाजिर हूं मेरे रब हाजिर हूं तेरे अलावा मैं किसी को शरीक नहीं करता बेशक तेरी हम्द करता हूं तुझसे ही नेमत मांगता हूं तमाम जहां की खूबी आता फरमा 

बिस्मिल्लाहि अल्लाहु अक्बरु अल्लाहुम-म इन्नी अस अलुक्ल अफ़व वल आफ़ि-य-त फ़िद-दुन्या वल आखिरति सुबहानल्लाहि वल हम्दु लिल्लाहि व ला इला-ह इल्लल्लाहु वल्लल्लाहु अक्बर व ला हौ-ल व ला क्रू-व-त इल्ला बिल्लाहि

तर्जुमा – शुरू करता हूं अल्लाह के नाम से जो सबसे बड़ा है। ऐ अल्लाह ! मैं तुझसे दुनिया और आखिरत में माफ़ी और आफ़ियत चाहता हूं। अल्लाह पाक ज्ञात है और सब तारीफ़ अल्लाह के लिए हैं और अल्लाह के सिवा कोई माबूद नहीं और अल्लाह सबसे बड़ा है और अल्लाह की मदद के बग़ैर हम में किसी काम की ताक़त नहीं

अब आपको सफा मरवा की साथ मर्तबा चक्कर लगाना होगा उसके बाद में वादिए मीणा और मुज़दलफा में जाना होगा अल्लाह ताला से अपने लिए दुआ करनी होगी 

वो  खास दुआ क्या है#

या अल्लाह मेरे रब मैं तुझे दुनिया और आखिरत की खूबसूरती चाहता हूं और आखिरत में कामयाबी चाहता हूं और कब्र के आजाब से बचना चाहता हूं जहन्नम के आजाब से भी बचना चाहता हूं हश्र के मैदान में जब तेरा सामना हो तो आसानी के साथ या अल्लाह हमें बख्श देना दोनों जहां की भलाइयां आता फरमाना

नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने हज की शुरुवात के लिए एक जगह या एक हद मुक़र्रर कर दिए है इस जगह को मक्का के नाम से जाना जाता है

जब हज के लिए हाजी मक्का पहुंच जाएँ फिर पहले पहने हुए कपड़े निकाल दें और ख़ास पहनावा (फ़क़ीराना) पहन ले, जिसे एहराम कहते हैं एहराम हज के लिए बे-सिली दो चादरें होती है एक को तहबंद के तौर पर बांध लिया जाता है, दूसरे को चादर के तौर पर बदन पर लपेट लिया जाता है।

हज के लिए एहराम बाँधने के बाद इतनी चीजे नहीं करना चाहिए : खुशबू लगाना जायज़ नहीं है सर खुला  रखे मोज़े और जुराबें न पहने जूते पहन सकते है लेकिन पाँव नंगा हो सिला हुआ कपड़ा न पहने सीना तान कर चले (अकड़ कर)

जब हज के एहराम बाँध ले उसके बाद क्या करना है क्या नहीं हम अभी आपको बताते है अब आगे आपको मक्का मुकर्रमा के लिए जाना है लेकिन हज के लिए एहराम बांधने के बाद जब सफ़र में जब बैठे, उठे, लेटे और कहीं से उतरे, और कहीं चढ़े, किसी क़ाफ़िले को मिले, जब नमाज़ पढ़कर फ़ारिग़ हो तो उस वक़्त ऊंची आवाज़ से पढ़े

“लब्बैक अल्लाहुम-म लब्बैक ला शरी- क ल क लब्बैक इन्नल हम-द वन-निअ म त ल क वल मूल क ला शरी-क लक

तर्जुमा:ऐ अल्लाह  मैं हाज़िर हू तेरा कोई शरीक नहीं, ऐ मेरे रब  मैं हाज़िर हूं बेशक सारी तारीफ़े और नेमतें तेरे लिए हैं और खुदाई  में तेरा कोई शरीक नही

बैतुल्लाह पर जब नज़र पड़े, तो पुकार उठे

‘ला इला-ह इल्लल्लाह व ला नअबुदु इल्ला इय्याहु मुखिलसी-न लहुद्दीन व लौ करिहल काफ़िरून

तर्जुमा : अल्लाह के सिवा कोई माबूद नहीं। हम उसके सिवा किसी की इबादत नहीं करते, अपनी इताअत उसी के लिए ख़ास करते हैं, अगरचे उसे काफ़िर नापसन्द करें 

वक्त

  • यानी वक्त पर नमाज पढना
  • वक्त से पहले पढेंगे तो नमाज नहीं होगी

नीयत

  • दिल के पक्के इरादे को नीयत कहते है
  • जबान से नीयत के अलफाज कह लेना जरूरी है

तकबीरे तहरीमा

  • इसका मतलब ये है की नमाज के शुरू मे अल्लाहू अक़बर कहना
  • दोनों हाथो को कानो तक ले जाते हुए

नमाज़ मे कितनी चीजे फर्ज है

नमाज मे कुल 6 चीजे फर्ज है   Namaz Me Total 6 Cheeze Farz Hai

केरात

  • मतलब कुरआन की आयतो को पढ़ना

सजदा

  • पेशानी को जमीन पर जमाना सजदे की हकीकत है

काअदा आखिरा

  • बैठकर अत्तहियात ( التحیات) को पढ़ना

खुरुजे बिसनई (خروج بسنعی)

  • किसी काम को कसदन तोड़ देने को खुरुज बिसनई कहते हैं

Note- अब आपकी ये सारी बाते करेक नमाज पूरी हो जाएगी

नमाज़ मकाम व मर्तबा क्या है (نماز کا مقام و مرتبہ کیا ہے)

  • नमाज एक सुकून देने वाली चीज़ का नाम है
  • नमाज सबसे बड़ी इबादत है|
  • नमाज पढ़ने से रोज़ी करोबार, नौकरी मे बरकत होती है
  • नमाज़ बुराइयो से बचाती है और नेक राह पर चलने मे आसानी हो जाती है
  • नमाज़ से सारी बीमारी दूर हो जाती है और इंसान सेहतमंद हो जाता है
  • नमाज़ से इंसान अल्लाह का नेक और खास बंदा बन जाता है


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