खाना खाने की दुआ हिंदी में | Khana Khane Ki Dua Hindi Mein

khana khane ki dua

KHANA KHANE KA SUNNAT TARIKA IN ISLAM – खाना खाने का सुन्नत तरीका  इस्लाम में  क्या है? अल्लाह तआला ने हमें दुनिया में कई नेमतें से नवाजा  हैं,जिनमें से एक सबसे बड़ी नेमत खाना-पीना बताया गया है।अक्सर हम खाना बिना किसी सुननत के उल्टे-सीधे तरीके से खा लेते हैं,लेकिन इस्लाम में खाने के भी कुछ सुन्नत (आदाब) तरीके हैं। आज के लेख में हम आपको खाना खाने के सुन्नत तरीकों के बारे में चर्चा करेंगे,जिन्हें अपना कर सवाब वा खाने का जायका बेहतर किया जा सकता है,बल्कि खाने में बरकत भी बढ़ाई जा सकती है।

इस इस्लामिक लेख में आपको खाना खाने के सही और सुन्नत तरीके बताने  जा रहा हूँ  अगर हम सही तरीके से खाना  पीना नहीं खाएंगे, तो पेट की बहुत समस्या हो सकती है जैसे बदहजमी या अपच का शिकार हो सकते हैं,आखिर में हमें डॉक्टर के पास जाना पड़ सकता है। इससे बेहतर है कि हम इस्लामी सुन्नत तरीकों को अपनाकर अपना खान-और पीना  सही करें।


अल्लाह की दी हुई हर चीज की कदर कैसे करनी चाहिए? 

 वैसे तो अल्लाह ताला ने इंसान को हर चीज से नवाजा है मगर आप एक बात यह भी सुन ले कि अल्लाह की हर चीज पर उसका एहसान है हमें उसका एहसान मानना चाहिए और एहसान मानकर उसका शुक्र अदा कैसे किया जाता है उसका शुक्र हर उसकी नियमत पर उसका नाम लेकर किया जाता है दुआओं के जरिए उसके जिक्र के जरिए और उस चीज का इस्तेमाल करके उसका शुक्र किया जाता है

खाना क्या है? 

सारी नियमतों में सबसे अफजल कोई नेमत है तो वह खाना है खाने को खाकर इंसान अपनी शिकम की भूख को मिटाता है भूख मिटाने के बाद इंसान के बदन की सारी जरूरत पूरी होती हैं मुसलमान को चाहिए अल्लाह की नेमत का इस्तेमाल करने से पहले इस्लाम में कुछ खास दुआओं का जिक्र किया गया है और उसे पढ़ा जाता है अब उन्ही में से सबसे पहले खाना खाने की दुआ का जिक्र किया जाए 

खाना खाने की दुआ हिंदी में 

  • बिस्मिल्लाह व आला बरकतिल्लाह

तर्जुमा: अल्लाह के नाम से शुरू जो निहायत ही मेहरबान और रहम करने वाला है और बरकत देने वाला 

अब खाना खाने की दुआ भूल जाए तो क्या करें? (दुआ जान लीजिए) 

  • बिस्मिल्लाह व अव्वलू व आखिर

तर्जुमा:अल्लाह के नाम से शुरू जो निहायत ही मेहरबान और रहम करने वाला है शुरू भी उसी के नाम से और खत्म भी उसी के नाम से

आप सोचेंगे यह तो कितनी छोटी दुआ है मगर छोटी होने के साथ-साथ दुआ के पढ लेने से अल्लाह अपने कर्म से खाने में बरकत देता है और खाना में ताकत पैदा करता है 


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