सेहरी की दुआ हिंदी में | Sehri Ki Dua,Niyat in Hindi

सहरी एक सुन्नत है-सहरी एक इबादत है-सहरी रोजा रखने की एक शुरुआत है-सहरी किए बगैर रोजा रखने का कोई फायदा नहीं-सहरी खाना गोया अल्लाह की नियमत का शुक्र अदा करने का एक अच्छा तरीका है
आई अब हम जानते हैं सहरी की दुआ
नियत कि मैंने रमजान के रोजे रखने की अल्लाह की खातिर जो रमजान के महीने में मुझ पर फर्ज हुआ
सूचना: अब आप शहरी करके पूरे दिन की रोज़ा रहेंगे और किसी भी गुनाह का काम नहीं करेंगे और खूब कुरान की तिलावत करेंगे अल्लाह की इबादत करेंगे अल्लाह का जिक्र करेंगे अल्लाह का शुक्र अदा करेंगे झूठ नहीं बोलेंगे किसी की चुगली नहीं करेंगे अपने बदन की किसी हिस्से से कोई भी गुनाह नहीं करेंगे जब आप यह सब चीज करेंगे तो अल्लाह ने चाहा अल्लाह आपका रोजा ज़रूर क़बूल फरमाएगा कोशिश करें ख़ूब ख़ूब अल्लाह की इबादत करें कोई भी गुनाह का काम ना करें
अल्लाहुम्मा-इन्नी-ल- कसुम तू-व-बिका-आमनतु-वालैका-तवक्कलतू-व-अला-रिज़किका-अफतरतू-फतक़ब्ब्ल-मिन्नी
मुसलमान पूरे दिन का रोजा रखता है अब जब उसके सामने अल्लाह की नेमत पेश होती है तो उसे खाने से पहले दुआ पढ़ी जाती है जिसमें अल्लाह का जिक्र अल्लाह का शुक्र हुआ करता है और इफ्तार के वक्त दुआ बहुत जल्द अल्लाह कबूल फरमा लेता है लिए हम आपको बताते हैं इफ्तार की दुआ
Allahumma inni la Kasam tu wabika amantu walaika tawakkaltu va ala Rizqiqa Aftartoo fataqabbal minni
अल्लाह मैंने रमजान का रोजा रखा तुझ पर ईमान लाया तुझ पर भरोसा किया और तूने मुझे रिज़क अता किया इफ्तार करने के लिए तू मेरी तरफ से कबूल फरमा
اللهم اني لك صمت بك من تو عليك توكلت على رزقك افطرت فتقبل مني
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