नमाज़ क्या है
अल्लाह तआला को नमाज़ बहुत पसंद है इसलिए जो अल्लाह के नेक बंदे है नमाज़ को पढ़ते है नमाज़ बंदो के लिए एक बहुत बड़ी नेअमत है हज़रत मुहम्मद सल्लाहु अलैहि वसल्लम का फरमान है नमाज़ दीन का सुकून (खंभा) है। और सबसे बड़ी बात नमाज़ बंदो के लिए मेराज है। अल्लाह से करीब होने की सीढ़ी इसलिए प्यारे दोस्तो हमे और आपको चाहिए खुद नमाज़ पढे
पाँच वक्त नमाज की रकात
नमाज़ | सुन्नत | फर्ज़ | सुन्नत | नफ़्ल | वित्र | नफ़्ल |
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फ़ज्र | 2 | 2 | - | - | - | - |
ज़ोहर | 4 | 4 | 2 | 2 | - | - |
असर | 4 | 4 | - | - | - | - |
मग़रिब | - | 3 | 2 | 2 | - | - |
इशा | 4 | 4 | 2 | 2 | 3 | 2 |
नमाज का समय Namaz Ka Time
- फजर का वक्त-रात खत्म होने के बाद से लेकर सूरज निकलने से पहले तक
- जोहर का वक्त- जब सूरज पश्चिम की तरफ
- जाता है और एक किसी चीज की परछाई उस चीज के बराबर हो तो जोहर पढ़ा जाता है
- असर का वक्त सूरज डूबने से एक घंटा पहले पढ़ा जाता है
- मगरिब का वक्त सूरज डूबने के बाद पढ़ा जाता है और पूरब और पश्चिम कि तरफ जब तक सफेदी रहे
- इशा का वक्त जब पश्चिम मे सफेदी गायब हो जाए तब पढ़ा जाता है यहाँ तक की रात
- खत्म होने तक इसका वक्त रहता है
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