नमाज की शर्तें
- बदन का पाक होना (गुसल/गुस्ल करें)
- मर्द और औरत दोनों ही नमाज से पहले वुजू करें
- स्थान साफ़ होना
- सतर का छुपा होना
- नमाज की नियत करना
- बावुजू नमाज की नियत क़िबला रुख करना
Aurat Ki Namaz Ka Tarika (औरत की नमाज का तरीका)
नमाज औरत की हो या मर्द की, दोनों में कोई ख़ास फर्क नहीं होता है, लेकिन औरत की नमाज में कुछ बारीकी अंतर होते हैं, जिन्हें हमें ध्यान में रखना चाहिए।
नमाज की नियत
नियत की मैंने दो रकअत नमाज फज्र की, सुन्नत रसूल पाक की वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा कआबा शरीफ की तरफ – "अल्लाहु अकबर"
नमाज का तरीका
- बावुजू क़िबला रुख करके खड़े हो जाएं और नमाज की नियत करें।
- हाथ कंधे तक उठाकर "अल्लाहु अकबर" कहें।
- हाथों को छाती पर बांध लें, दाहिना हाथ बाएं हाथ के ऊपर।
- सना, तअव्जुज तस्मिया, सूरह फातिहा, और सूरह इखलास पढ़ें।
- रुकू (झुकना) – "सुब्हाना रब्बियल अजीम" 3 मर्तबा कहें।
- सजदा (सिर झुका कर) – "सुब्हाना रब्बीयल आला" 3 मर्तबा कहें।
- वहीं प्रक्रिया दूसरे राकअत में दोहराएं।
- अंत में "अत्तहिय्यात", "दरूद शरीफ" और "दुआए मसुरा" पढ़ें और सलाम फेरें।
सूरह फातिहा और सूरह कौसर का पाठ
सूरह फातिहा
अलहम्दु लिल्लाहि रब्बिल आलमीन. अर्रहमान निर्रहीम. मालिकी यौमेद्दीन. इय्याका नाबुदु व इय्याका नस्तईन. इहदिनस सिरातल मुस्तकीम. सिरातल लजिना अन अमता अलैहिम गैरिल मग्ज़ुबी अलैहिम वलज्जाल्लीन”- आमीन
सूरह कौसर
इन्ना आतैना कल कौसर फसल्ली लिरब्बिका वनहर इन्ना शानियाका हुवल अब्तर
नमाज के बाद क्या पढ़ना चाहिए?
सलाम फेरने के बाद औरत/मर्द को दुआ पढ़नी चाहिए:
- अल्लाहुम्मा अंतस-सलाम वा मिंकास-सलाम। तबरक्त या जल-जलाली वल-इकराम।
- फातिमा तस्वीह – 33 मर्तबा "सुबहान अल्लाह", 33 मर्तबा "अलहम्दु लिल्लाह", 34 मर्तबा "अल्लाहु अकबर" पढ़ें।
आयतल कुर्सी
अल्लाहु ला इलाहा इल्लाहू अल-हय्युल-क़य्यूम, ला ताख़ुज़ुहू सिनतुन वला नॉम, लहू मा फिस्समावाति वमा फ़िल अर्ज़, मन ज़ा-लज़ी यश्फ़आ' उन्दहू इल्ला बि-इज़्निही, यअलमू मा बैना अयदीहिम वमा खल्फ़हुम, वला युहीटूना बिशे' इन मिन इल्मिही इल्ला बिमा शा, वसी‘अ कुरसीयुहू अस्समावाति वल अर्ज़, वला यअ'ऊदूहु हिफ़्ज़ुहुमा, वहूवल अलीय्युल अज़ीम.