Read Dua e Qunoot in Hindi, English, Urdu & Arabic-यहाँ पर दुआ ए कुनूत हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू और अरबी में उपलब्ध है। इसे पढ़ें और याद करें।
दुआ ए कुनूत क्या है?
दुआ ए कुनूत एक ऐसी दुआ है जो वित्र की नमाज की तीसरी रकात में यह दुआ पढ़ी जाती है यह दुआ वित्र की नमाज में पढ़ने मुस्ताहब है इस दुआ में अल्लाह से तौबा करना अल्लाह से मदद मांगना अल्लाह से अपने लिए खैर की दुआ करना इस तरह के अल्फाज शामिल हैं अपने लिए नमाज की दुआ करना सजदे तिलावत की दुआ करना और अज़ाब से अपने आप को बचाने के लिए अल्लाह से दुआ करना इस तरह के अल्फाज भी शामिल हैं
दुआ ए कुनूत हिंदी में
- अल्लाहुम्मा इन्ना नस्तईनुक- वनस्तगफिरुक - वणुमिनुबिक - वन तवक्कलु अलैका वणुसनी अलइकल खैर
- वनस्कुरूका वला नक फुरूका वनखलऊं व नतरूक मय्यफ जुरुक अल्लाहुम्मा इय्याका नाबुदू व लक नुसल्ली व नस्जुद
- व इलेक नासआ व नहफीदू व नरजू रहमतक व नख़्शा अजाबका इन्ना अज़ाबक बिल क़ुफ़्फ़ारी मुल्हिक़
फिर उसके बाद एक सूरह पढे जिसे सुरह काफिरून कहते हैं हिंदी में
कुल -या -आययु-हल -काफिरून -ला -आबुदू-माताबुदून-व ला -आ अन तुम-आबिदुना-मा-अअबुद-वला अना-आबिदममा-अबदततुम-वला-अन -तुम आबिदूना -मा आबुद लकुम दिनुकुम वलिय दीन
तर्जुमा: Dua E Qunoot Tarjuma In Hindi
- ऐ अल्लाह, हम तुझ से मदद चाहते हैं! और तुझसे माफी मांगते हैं तुझ पर ही ईमान रखते हैं
- और आप पर ही भरोसा करते हैं, और तेरी बहुत अच्छी तारीफ करते हैं
- और तेरा शुक्र अदा करते हैं और तेरी ना सुकरी नहीं करते, और अलग करते हैं और छोड़ते हैं, उस शख्स को जो तेरी नाफरमानी करें।
- ऐ अल्लाह, हम तेरी ही इबादत करते हैं और तेरी लिए ही नमाज़ पढ़ते हैं और सजदा करते हैं और तेरी तरफ दौड़ते और झपटते हैं और तेरी रहमत के हकदार हैं और तेरी आजाब से डरते हैं, और बेशक तेरा आजाब
- काफिरों को पहुंचने वाला है।
दुआ ए कुनूत अरबी:
- بسم الله الرحمن الرحيم
- اللهم انا نستعينك ونستغفرك ونؤمن بك ونتوكل عليك ونسني عليك الخير ونشكرك ولا نكفرك ونخلع
- ونترك من يفجرك اللهم اياك نعبد ولك نصلي ونسجد واليك نسعى ونحفظ ونرجو رحمتك ونخشى عذابك
- ان عذابك بالكفار ملحق
Dua e qunoot meaning in English:
- O, Allah! We invoke you for help and beg for forgiveness, and we believe in you and have trust in you, and we praise you in the best way
- we can; and we thank you and we are not ungrateful to you, and we forsake and turn away from the one who disobeys you.
- O, Allah! We worship you and prostrate ourselves before you, and we hasten towards you and serve you,
- and we hope to receive your mercy and we dread your torment. Surely, the disbelievers shall incur your torment"
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