माँ बाप के हुकूक | Maa -baap ke huqooq In Hindi | Maa baap ke huqooq Hadees,Quran

maa baap ke huqooq

औलाद के ऊपर माँ बाप के हुकूक | Maa baap ke huqooq Hadees,Quran se Jaane

प्यार आका सल्लल्लाहो ताला अलेही वसल्लम ने फरमाया है मां के कदमों के नीचे जन्नत है मां-बाप का एहतराम किया करो मां-बाप का अदब किया करो मां बाप का कहना माना करो मां बाप के बारे में अल्लाह के रसूल ने बहुत सारी हदीस में फजीलत वाली बातें फरमाई है 

जिनसे उनके मां-बाप राजी हो जाते हैं अल्लाह और उसका रसूल उनसे राजी हो जाता है और जिनके मां-बाप उनसे नाराज होते हैं अल्लाह और उसका रसूल भी उनसे नाराज होता है 

    मां बाप के बारे में अल्लाह ने कुरान में इरशाद फरमाया है 

    • وقضى ربك الا تعبدوا الا اياه وبالوالدين احسانا اما يبلغن عندك الكبر احدهما او كلاهما فلا تقل لهما اف
    • ولا تنهرهما وقل لهما قولا كريما 

    तर्जुमा:

    • और अपने रब की इबादत करो और उसके सिवा मां-बाप के साथ  हुसने सुलुक करो 
    • अगर वह बुढ़ापे की उम्र में  पहुंच जाए तुम्हारे सामने  उन्हें उफ तक ना कहना
    • ना उन्हें डांटना और ना डपटना उनके साथ हमेशा अदब एहतराम से पेश आना

    मां बाप के बारे में अल्लाह ने कुरान में इरशाद फरमाया है - Maa Baap Ke Baare mein Allah ne Quran me Irshaad Farmaya hai

    कुरान में अल्लाह तबारक व ताला ने अपनी इबादत के बाद दूसरा नंबर मां-बाप के साथ हुसने सुलूक का हुक्म दिया है इस आयत में उनकी इताअत उनकी खिदमत और उनके अदब एहताराम की बात बयान की गई है पता चला कि अल्लाह की इबादत के बाद मां बाप की इबादत भी जरूरी है ऐसा नहीं है कि अल्लाह की इबादत करो और मां-बाप को सताओ मां बाप को परेशान करो मां-बाप की खिदमत ना करो इसको अल्लाह ताला कभी नहीं माफ करेगाआज के जमाने में औलादें अपने आप को बड़ा होशियार समझते हैं कहते हैं अम्मी तुमको कुछ नहीं मालूम 

    उन्हें नहीं पता होता है इस मां ने उसे पैदा किया और पाल कर बड़ा किया आज वही औलाद उनका दिमाग बताती है उनको सिखाती है और उन्हें डांट कर डपटकर उन्हें बातें बताती है


    हुजूर के बाद अल्लाह के फरमान से बताइए चला कि जब मां-बाप बुढ़ापे की उम्र में पहुंच जाए तो उन्हें उफ तक करने का हुकम भी नहीं है उसे हाल में भी मां-बाप की खिदमत और मां-बाप का एहतराम और मां-बाप की फमर्बदारी बहुत जरूरी है 

    प्यारे नौजवान साथियों मेरी इस्लामी बहनों हमें और आपको चाहिए की मां-बाप की खिदमत करें मां बाप का हुक्म मन मां-बाप जो कहे उसे चीज को करें उनकी बात को मानकर उन्हें राजी कर ले जब हमने राजी कर लेंगे तो अल्लाह उसका रसूल भी हमसे राजी हो जाएगा और हम जन्नत के हकदार हो जाएंगे 


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