कुर्बानी का गोश्त बांटने का तरीका | Qurbani Gosht Taqseem Karne ka Tarika

कुर्बानी के गोश्त का तीन हिस्सा करना चाहिए पहला हिस्सा अपने लिए दूसरा हिस्सा अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के लिए तीसरा हिस्सा गरीब मिस्कीन और फुरका के लिए (फकीर) ।
तीन हिस्सा कुर्बानी का गोश्त करना अफज़ल और बेहतर है अगर किसी का खानदान बहुत बड़ा है रिश्तेदार ज्यादा है और वह जरुरतमंद है
ऐसे में में पूरा गोश्त अपने रिश्तेदार और जानने वाले में बाँट सकता है अगर किसी का खानदान बड़ा हो और वह गरीब हो तो वह अपने लिए भी सारा का सारा गोश्त रख सकता है
अगर कोई कुर्बानी का सारा गोश्त अपने पास रखता है यानी तकसीम नहीं करता है तो कोई गुनाह नहीं है क्योंकि कुर्बानी का गोश्त आपका है लेकिन बेहतर अफजल है तीन हिस्सा करके बांटना चाहिए
चमड़े की कीमत जो मिले उसे गरीब में सदका करें अगर चमड़ा आपके काम का हो तो अपने काम में भी लिया जा सकता है इस चमड़े को कसाई को मजदूरी के तौर पर नहीं दिया जा सकता
चमड़े को बेचने के बाद उससे मिलने वाली कीमत अपने पास नहीं रखे गोश्त बनाने वाले को सदका के तौर पर नहीं देना चाहिए मस्जिद के इमाम को कुर्बानी के जानवर का चमड़ा दिया जा सकता है लेकिन हदिया के तौर पर दें
अगर बड़ा जानवर बकरीद की कुर्बानी में में जिबह किया गया हो ऐसे में सात हिस्सा किया जाएगा मतलब बड़े जानवर की कुर्बानी में सात अलग अलग लोग शामिल हो सकते है यह जो सात हिस्सा जो लगाया जाये उसे अंदाजे से न लगाकर बल्कि तौलकर लगाया जाएगा जिससे सात हिस्सेदार में किसी को कोई मलाल न रह जाए
सात हिस्से कुर्बानी का गोश्त जो एक एक लोग को मिलेगा वह अपने हिस्सा का तीन हिस्सा करेगा उसके बाद गरीब अपने लिए रिश्तेदार के लिए लगाये लेकिन खुद का परिवार बड़ा होने की सूरत में अपने लिए सारा गोश्त रखा जा सकता है ।
अगर कोई चाहे तो सारा गोश्त रख सकता है या फिर सारा गोश्त बाँट भी सकता है क्योंकि कुर्बानी का गोश्त उसका हिस्सा है इसलिए जैसे चाहे इस्तेमाल करें
खयाल इस बात करें कुर्बानी का जानवर जितना अच्छा खूबसूरत सेहतमंद और बेहतरीन होगा उतना ही ज्यादा सवाब आपको मिलेगा ध्यान रहे आपको कुर्बानी करना है दिल की मोहब्बत के साथ ना कि दिखावा करना है और ना ही रस्म अदा करना।